मुक्तक
सूझ-बूझ ईमान सब, कहने की है बात ।
रोटी के मोहताज हैं, जीवन के हालात ।
जब तक तन में श्वास है, चले क्षुधा की जंग –
मुफलिस को हरदम लगे,लम्बी भूखी रात ।
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बेटा – बेटी एक से, कहने की है बात ।
बेटा सुख का सारथी, बेटी सहे आघात ।
मिला नहीं वो आज तक, बेटी को सम्मान –
जिसके लिए समाज से,उलझी वो दिन रात ।
सुशील सरना / 25-12-23