मुक्तक
दोधक छंद आधृत मुक्तक( मापनी युक्त वर्णिक )
ऽ।।,ऽ।।,ऽ।।,ऽऽ
माँ मुझको तव प्यार मिला है।
जीवन का उपहार मिला है।
सुंदर छंद विधान सिखाया,
मातु मुझे नव सार मिला है।।1
मोहन तो लगते अति प्यारे।
नैन उन्हें दिन- रात निहारे।
सुंदर है उनके कर वंशी,
जो नित ही प्रिय नाम पुकारे।।2
देख मिटा वसुधा अति न्यारी।
फूल खिले नित ही फुलवारी ।
सत्य सनातन धर्म सिखाए,
घूम सदा बन प्रेम-पुजारी ।।3
प्रेम बसा उर आस जगी है।
दृष्टि सदा नव प्रीत पगी है।
खंजन नैन कटार सरीखे,
घायल यों मन देख ठगी है।।4
मीत बना हर पीर सहें जो।
प्रीत बैर समभाव रहें जो।
बात सुनो अब लाख टके की,
लोग वही सच बात कहें जो।।5
डाॅ. बिपिन पाण्डेय