#मुक्तक-
#मुक्तक-
■ नींद को वनवास।
【प्रणय प्रभात】
“एक झंझावात है साँसों से धड़कन तक अभी,
सोचता हूँ इस समय ने क्या अधिक क्या कम लिया।
काल-कवलित हो गए कुछ स्वप्न शैशवकाल में,
रतजगों ने नींद को वनवास दे कर दम लिया।।”
#मुक्तक-
■ नींद को वनवास।
【प्रणय प्रभात】
“एक झंझावात है साँसों से धड़कन तक अभी,
सोचता हूँ इस समय ने क्या अधिक क्या कम लिया।
काल-कवलित हो गए कुछ स्वप्न शैशवकाल में,
रतजगों ने नींद को वनवास दे कर दम लिया।।”