मुक्तक
जब भी मुंह खोलते हैं लोग
झूठ पर झूठ बोलते हैं लोग
थोड़ी सी मतलब के खातिर
ईमान भी छोड़ते हैं लोग ।
मद्धम हुआ हर शय है
झूठ का बड़ा भय है
धैर्य रखना सीखना है
सच की जीत तय हैं
जब भी मुंह खोलते हैं लोग
झूठ पर झूठ बोलते हैं लोग
थोड़ी सी मतलब के खातिर
ईमान भी छोड़ते हैं लोग ।
मद्धम हुआ हर शय है
झूठ का बड़ा भय है
धैर्य रखना सीखना है
सच की जीत तय हैं