मुक्तक
कभी राहे-जिन्दगी में बदल न जाना तुम!
कभी गैर की बाँहों में मचल न जाना तुम!
सूरत बदल रही है हरपल तूफानों की,
कभी हुस्न की आँधी में फिसल न जाना तुम!
मुक्तककार- #महादेव'(24)
कभी राहे-जिन्दगी में बदल न जाना तुम!
कभी गैर की बाँहों में मचल न जाना तुम!
सूरत बदल रही है हरपल तूफानों की,
कभी हुस्न की आँधी में फिसल न जाना तुम!
मुक्तककार- #महादेव'(24)