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29 Mar 2017 · 1 min read

मुक्तक

कभी राहे-जिन्दगी में बदल न जाना तुम!
कभी गैर की बाँहों में मचल न जाना तुम!
सूरत बदल रही है हरपल तूफानों की,
कभी हुस्न की आँधी में फिसल न जाना तुम!

मुक्तककार- #महादेव'(24)

Language: Hindi
435 Views
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