मुक्तक –
मुक्तक –
उलझी नज़रें कह रहीं,दिल की पावन प्रीत।
खुशियाँ गम को साथ ले,रहती हैं भयभीत।
शायद उनको है सभी,सत्य जगत का ज्ञात,
निष्ठुर दुनिया कब सुने, मधुर प्रेम के गीत।।
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मुक्तक –
उलझी नज़रें कह रहीं,दिल की पावन प्रीत।
खुशियाँ गम को साथ ले,रहती हैं भयभीत।
शायद उनको है सभी,सत्य जगत का ज्ञात,
निष्ठुर दुनिया कब सुने, मधुर प्रेम के गीत।।
डाॅ. बिपिन पाण्डेय