मुक्तक
मुक्तक
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कवि को आदर्श सुझावो मत, उसको यथार्थ में जीने दो।
जो मिले सुधा या सुरा उसे, उसको मस्ती में पीने दो।।
उसकी लय-गति पर ध्यान न दो, गाने दो उसको झूमझूम,
उसको अपने ढॅंग से अपने, गहरे घावों को सीने दो ।।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
मुक्तक
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कवि को आदर्श सुझावो मत, उसको यथार्थ में जीने दो।
जो मिले सुधा या सुरा उसे, उसको मस्ती में पीने दो।।
उसकी लय-गति पर ध्यान न दो, गाने दो उसको झूमझूम,
उसको अपने ढॅंग से अपने, गहरे घावों को सीने दो ।।
महेश चन्द्र त्रिपाठी