मुक्तक
मुक्तक
हर फल की अपनी ऋतु होती, ऋतु आने पर फलता
हर फल को जीवन देने को, सूरज नित्य निकलता
पानी धूप वायु धरती से, पाता सम्यक पोषण
तब ही कोई बीज नभोन्मुख, अपनी गति से चलता ।
@ महेश चन्द्र त्रिपाठी
मुक्तक
हर फल की अपनी ऋतु होती, ऋतु आने पर फलता
हर फल को जीवन देने को, सूरज नित्य निकलता
पानी धूप वायु धरती से, पाता सम्यक पोषण
तब ही कोई बीज नभोन्मुख, अपनी गति से चलता ।
@ महेश चन्द्र त्रिपाठी