मुक्तक 1
190
जुदाई की घड़ी लंबी कटेंगे रात -दिन कैसे
प्रतीक्षा है बड़ी लंबी कटेंगे रात -दिन कैसे
नहीं है नींद आंखों में न दिल को चैन है कोई
है यादों की लड़ी लंबी कटेंगे रात- दिन कैसे
189
यूँ रंगमंच के तो कलाकार आप हैं
जीते अनेक रूप वो किरदार आप हैं
अभिनय भी आपका लगे इतना सजीव है
कहते सभी कि उम्दा अदाकार आप हैं
188
जीवन है रंगमंच कलाकार हम सभी
जीते अनेक रूप के किरदार हम सभी
अभिनय हमारी ज़िन्दगी में है बहुत अहम
कहने को ही नहीं हैं अदाकार हम सभी
187
डरना देखो ज़रा नहीं है,दूर बहुत ही कूल भले हों
हमको चलते ही जाना है ,बीच राह में शूल भले हों
हमें हमारी यही कोशिशें,मंज़िल तक लेकर जाएंगी
कभी हौसला नहीं छोड़ना, धाराएं प्रतिकूल भले हों
186
डरना हमको ज़रा नहीं है,दूर बहुत ही कूल भले हों
चलते ही जाना है हमको,बीच राह में शूल भले हों
हमें हमारी यही कोशिशें,मंज़िल तक लेकर जाएंगी
नहीं हौसला हमें छोड़ना, धाराएं प्रतिकूल भले हों
185
इस ज़िंदगी ने तो सदा हमको सताया है
पाने की हमने चाह में कितना गँवाया है
फिर भी न टूटने दिया इस दिल को ‘अर्चना’
हँस -हँस के दर्द हमने गले से लगाया है
184
देती हमें हैं प्रेम का संदेश बेटियाँ
संस्कार से सजाती हैं परिवेश बेटियाँ
बेटों से कम नहीं रहीं हैं बेटियाँ कभी
करतीं बड़ी मिसालें रहीं पेश बेटियाँ
183
जब मायके से जाती हैं परदेश बेटियाँ
ससुराल के ही पहनती हैं वेश बेटियाँ
लेकिन जड़ों से हो नहीं पातीं वो दूर हैं
रखतीं हैं अपने दिल में अपना देश बेटियाँ /
देतीं हमेशा प्रेम का संदेश बेटियाँ
182
हम राज़ अपने हर किसी को खोलते नहीं
चलते हैं अपनी राह पे पग मोड़ते नहीं
हम अपने दिल की बात ही सुनते समझते हैं
क्या चार लोग कहते हैं हम सोचते नहीं
181
ये क्या किया जो दिल को खिलौना बना दिया
मन भर गया तो पास से अपने हटा दिया
लेकिन समझ में आएगा जब मोल प्यार का
रोओगे ज़ार-ज़ार कि क्या कुछ गँवा दिया
180
हम चुप रहे कभी किसी को कुछ नहीं कहा
हर दर्द मुस्कुराते हुए हमने है सहा
जब मान पर हमारे कोई बात आई तो
टूटे नहीं बिखरे’नहीं संयम बना रहा
179
ध्येय बिन कोई मंज़िल को पाता नहीं
गीत कोई बिना लय के भाता नहीं
हमने माना मुहब्बत ये इक जंग है
पर जिया प्यार के बिन है जाता नहीं
178
रग रग में तू है तुझको भुलाएँ भी किस तरह
रोती हुई आँखों को चुपाएँ भी किस तरह
तुझसे ही थीं बहारें, तुझी से थी हर खुशी
अब बिन तेरे ये उम्र बिताएँ भी किस तरह
177
ज़िंदगी है गीत इसको गुनगुनाना चाहिए
वक़्त की लय ताल से इसको सजाना चाहिए
दौर जीवन में कभी भी एक सा रहता नहीं
इसलिए हर हाल में बस मुस्कुराना चाहिए
अगर ऐसे
176
नस नस में तू है तुझको भुलाएँ भी किस तरह
रोती हुई आँखों को चुपाएँ भी किस तरह
तुझसे ही थीं बहारें, तुझी से थी हर खुशी
अब बिन तेरे ये उम्र बिताएँ भी किस तरह
175
चलते रहे थके नहीं कब हौसला था कम
आईं भी अड़चनें बड़ी रोके न पर कदम
हर हार को बदलते रहे जीत में यहाँ
लक्षित शिखर को इसलिए ही छू सके थे हम
174
गोवर्धन पर्वत उठा, बचा लिया था गाँव
शीश कालिया नाग पर, थिरक उठे थे पाँव
ऐसे गिरिधर नाथ को,बारम्बार प्रणाम
हटा दुखों की धूप जो,देते सुख की छाँव
173
छिप गई वो आज देखो चाँद की है चाँदनी
दीप जलते देखकर शरमा गई है चाँदनी
जगमगाहट से भरी दीपावली की रात अब
चाँद के बिन भी लगे जैसे खिली है चाँदनी
172
रात घिराकर तम घना, देती है आराम
सूरज देकर दिन हमें, कहे करो अब काम
अन्न हमें देती धरा , नभ देता बरसात
अजर अमर हे सत् प्रकृति,शत शत तुझे प्रणाम
171
वो तेरा ओंठ निचला काटकर पलकें झुकाना
वो घूंघट की ज़रा सी ओट लेकर मुस्कुराना
चुराए चैन दिल का नींद रातों की यूँ मेरी
मैं बन कर रह गया हूं सिर्फ तेरा ही दिवाना /
उड़ाये होश मेरा आज तक भी इस तरह से
कहें हैं लोग देखो आ गया मजनूं दिवाना
डॉ
170
इश्क की अब तलक खुमारी है
उम्र उनके बिना गुजारी है
वो बसे हैं यूँ आज भी दिल में
क्या मुहब्बत अज़ब हमारी है
169
असुर न कोई बच सके ,ऐसा हो संग्राम
पापी रावण मारकर,विजय करो श्री राम
पर्व दशहरा आ गया, लेकर ये संदेश
चलो राम की राह पर, बुरे करो मत काम
168
रुक्मणी बनके क्यूँ रोज पीड़ा सहूँ
राधिका बनके क्यूँ एक विरहन रहूँ
प्रेम जब हो गया श्याम तुमसे तो मैं
क्यूँ न जोगन बनूँ खुद को मीरा कहूँ
167
दुखा कर दिल नहीं भरना कभी खलिहान तुम अपना
सुनो मत साधना निर्दोष पर संधान तुम अपना
जगत में चाँदनी झूठी चमकती चार दिन केवल
न खोना भूल कर भी दम्भ में सम्मान तुम अपना
166
तंत्र सब कारगर नहीं होते
ईंट- गारे से घर नहीं होते
प्यार होता जहाँ दिलों में है
उस जगह पर समर नहीं होते
165
इस ज़िंदगी में जो जरा आगे निकल गए
कद बढ़ते ही विचार भी उनके बदल गए
देते हैं आज ठोकरें पाषाण की तरह
लगता है भूल अपना वो जैसे हैं कल गए
164
एक मनचली अल्हड़ लड़की, जब मुझमें आ जाती है
कानों में गुपचुप कुछ कहकर, हँसी मधुर ले आती है
कभी खींच लेती वह मेरी, परिपक्वन की चादर को
और कभी बचपन से मेरे, आकर मुझे मिलाती है
डॉ
163
अगर मचले कभी जो दिल मचलने तुम नहीं देना
इसे मनमानियां अपनी ही करने तुम नहीं देना
निकल जाए अगर भूले से भी दिल हाथ से अपने
तो फिर हर हाल में इसको बिखरने तुम नहीं देना
162
बड़े वे भाग्यशाली दोस्त जिनके साथ चलते हैं
सदा सद्भाव के ही बस दिलों में दीप जलते हैं
यहाँ पर खून के रिश्ते दगा अक्सर हैं दे जाते
मगर ये दोस्त ही हैं जो कभी हमको न छलते हैं
डॉ
161
हमेशा दोस्त ही हैं जो हमारे साथ चलते हैं
हमारे ख़्वाब उनके ख़्वाब दोनों साथ पलते हैं
भले ही दूर हों मीलों ,मिले वो हों न बरसों से
मगर दिल में हमेशा दोस्ती के दीप जलते हैं
160
अगर ठोकर लगे तो क्या, संभलना है तुझे
भरम के जाल से बाहर निकलना है तुझे
न कर विश्वास तू यूँ हर किसी की बात पर
यहाँ पर शख़्स को पहले समझना है तुझे
159
तेरे कहने पे ही तुझसे किनारा कर लिया मैंने
लगी जब प्यास आँसू से गुजारा कर लिया मैंने
सताती जब रहीं हर वक़्त आ आकर तेरी यादें
खुशी से दर्द को अपना सहारा कर लिया मैंने
158
तुमने मेरा कहा सुना ही नहीं
रास्ता प्यार का चुना ही नहीं
कैसे होता बताओ ये पूरा
ख्वाब कोई भी जब बुना ही नहीं
157
मन मेरा देगा गवाही तो लिखूँगी
राष्ट पथ पर हो सिपाही तो लिखूँगी
इस कलम की बस यही तो चाहना है
हो न झूठी वाह वाही तो लिखूँगी
156
तुम हमारा हो ख़्वाब लिख देंगे
तुम ही दिल हो जनाब लिख देंगे
प्यार करते हैं हम तुम्हें इतना
तुम पे हम इक किताब लिख देंगे
155
वही सदी इक्कीसवीं है ये, नए हैं ढंग जीने के
पुराने ज़ख्म हैं लेकिन नए अंदाज सीने के
वही रिश्ते वही नाते वही परिवार के सुख दुख
वही आँसू , तरीके पर अलग हैं उनको पीने के
154
गर मुहब्बत नही हुई होती
तेरी आदत नहीं हुई होती
ख़्वाब बोता न तू इन आंखों में
मैं भी आहत नहीं हुई होती
153
बढ़े कद कितना भी ऊँचा कभी अभिमान मत करना
गलत राहों पे चलकर अपनी तुम पहचान मत करना
नहीं खाली कभी होगी दुआओं से भरी झोली
दुखाकर दिल कभी माँ-बाप का अपमान मत करना
152
आप चुन लीजिए अपने आकाश को, तो सितारे भी हिस्से में आ जाएंगे
आप हिम्मत से अपने बढ़ाएं कदम, एक दिन अपनी मंज़िल भी पा जाएंगे
अपने दिल से ग़मों को लगाएं नहीं, हार से भी कभी हार मानें नहीं
देखना आप चूमेंगे इक दिन शिखर मेघ खुशियों के जीवन में छा जाएंगे.
151
तुम्हारे इश्क में पागल दिवानी हो गई हूँ
लगे है प्रेम की मैं इक कहानी हो गई हूँ
उड़ाने भर रही हूँ नित नये सपने संजोकर
परी मासूम सी मैं आसमानी हो गई हूँ
150
मैं मन की भावनाओं के मुताबिक शब्द चुनती हूँ
उन्हें मैं ढाल छंदों में नया संसार बुनती हूँ
डुबा देती हूँ खुद को इस कदर मैं भाव गंगा में
उन्हें जब बाँधकर सुर में सुनाती और सुनती हूँ
149
शब्द शब्द में भाव पिरोकर ,बना दिया है हार
मेरे इन भावों को समझो, ये है मेरा प्यार
मेरे दिल की हर धड़कन में, बसा तुम्हारा नाम
आती जाती साँस कहे ये, करो मुझे स्वीकार.
148
सीधी सच्ची यही कहानी है
जिंदगी है तो मौत आनी हैं
बेवफाई तो काम है इनका
दोस्ती पर हमें निभानी है
147
आप करते तो नखरे बहुत हैं
पर हमें लगते अच्छे बहुत हैं
हम तो हैं आपके ही दिवाने
आप पर जां छिड़कते बहुत हैं
146
भरा भावनाओं के जल से मन वो गहरा कूप है
कहीं दर्द की छांव घनी तो, कहीं खुशी की धूप है
कितनी भी हम कोशिश कर लें, सत्य यही है ‘अर्चना’
चलना पड़ता हमें हमेशा जीवन के अनुरूप है
145
निभाना ज़िन्दगी से भी कहाँ आसान होता है
जुटाता सिर्फ जो माया बड़ा नादान होता है
कमाले कितनी भी दौलत नहीं कुछ साथ जाएगा
किये कर्मों का अपने तो यहीं भुगतान होता है
144
मतदान केंद्र पर जायेंगे
जाकर के बटन दबायेंगे
चुनकर फिर अपना प्रत्याशी
हम अपना फ़र्ज़ निभायेंगे
143
फागुन आया है फिर लेकर, रंगों की बौछार
मस्ती में मन झूम रहा है,,बरस रहा है प्यार
कुदरत ने भी पहन लिए हैं, नवल नवल परिधान
मंगलमय हो आप सभी को, होली का त्योहार
142
कभी जब नैन मतवारे किसी से चार होते हैं
नहीं तलवार से कम तेज उनके वार होते हैं
लगा लेते मिले हर दर्द को हँसकर गले अपने
न रहता जोर दिल पर और हम बेज़ार होते हैं
141
कहीं मीरा बनी यह भक्ति का रसपान करती है
कहीं बन लक्ष्मी बाई वीरता का गान करती है
चली आई है कितने रूप धरते आज तक नारी
यही बन धाय पन्ना ममता भी कुर्बान करती है
140
नज़र नज़र से मिले और प्यार हो जाए
हमें किसी का शुरू इंतज़ार हो जाए
हमारी जिंदगी में काश आए दिन ऐसा
किसी के इश्क में दिल बेकरार हो जाए
139
गर न बोलोगे तुम कुछ न बोलेंगे हम
गाँठ मन की लगी कैसे खोलेंगे हम
दर्द की बस हमारे यही अब दवा
थोड़ा हँस लेना तुम थोड़ा रोलेंगे हम
138
मुझको अपनों का मिला, इतना सारा प्यार
इससे बढ़कर है नहीं, कोई भी उपहार
दिया दुआओं का मुझे, है अतुलित भंडार
समझ नहीं आता करूं, कैसे मैं आभार
137
अजब इस दिल की फितरत है, कभी हंसता कभी रोता
हमारे ज़ख्म सारे आंसुओं की धार से धोता
इसी के दम पे चलती है हमारी जिंदगी पूरी
धड़कता ही रहे दिन रात इक पल भी नहीं सोता
136
बाद मुद्दत के हम मिल रहे हैं
फिर मुहब्बत के गुल खिल रहे हैं
वक़्त ने जो उधेड़े थे सपने
साथ मिलकर उन्हें सिल रहे हैं
135
हजार ग़म हैं तुम्हें कौन सा बताएं हम
हजार ज़ख्म तुम्हें कौन सा दिखाएं हम
न जाने कितनी हैं बातें तुम्हें सुनाने को
ज़रा सा पास कभी बैठो तो सुनाएं हम
या
हज़ार ग़म हैं तुम्हें कौन सा बताएं हम
हज़ार ज़ख्म हैं वो किस तरह दिखाएं हम
न जाने कितनी ही बातें सुनानी हैं तुमको
ज़रा सा पास कभी बैठो तो सुनाएं हम
134
पास अपने तुझे ही बुलाएंगे हम
रस्म उल्फत की सारी निभाएंगे हम
चाहे कैसा भी रुख इन बहारों का हो
ज़िन्दगी साथ तेरे बिताएंगे हम
133
दिल में अपने तुझे ना बसाएंगे हम
ये कहा ज़िन्दगी भर निभाएंगे हम
यदि अदालत का तेरी यही फैसला
पास अपने न तुझको बुलाएंगे हम
132
हिज्र में रात – दिन हम तड़पते रहे
ख्वाब पतझड़ के जैसे बिखरते रहे
ज़िंदगी में न सावन की आई बहार
नैन ही बादलों से बरसते रहे
131
बड़ी शान से नीलगगन में, लहर लहर लहराता है
हर इक हिंदुस्तानी इसको,अपना शीश झुकाता है
लगे बहुत ही प्यारा इसका,श्वेत- हरा केसरिया रँग
यही तिरंगा हमको अपनी,इक पहचान दिलाता है
डॉ
130
झूठ सदा कब प्यारा लगता
सच पर पर्दा ढककर रखता
चोट मगर गहरी लगती है
वार कभी जब इसका पड़ता
डॉ
129
अपनी है पर न अपनी लगे ज़िंदगी
वक्त के संग चलती रहे ज़िंदगी
धड़कनों से हमारी जुड़ी है मगर
जाती चुपचाप है छोड़ के ज़िंदगी
128
बदलते दिन बदलती रात
बदल जाती है पल में बात
करें किस पर भरोसा हम
यहाँ अपनों से मिलती घात
127
हाथ अपना न छूटने देंगे
सुख किसी को न लूटने देंगे
जिसमें हम देखते सदा खुद को
आइना वो न टूटने देंगे
126
गर बिछड़ जाएं हम तो भी रोना न तुम
आँसुओं से ये चेहरा भिगोना न तुम
दौर ऐसा कभी भी अगर आये तो
है कसम आस मिलने की खोना न तुम
125
जहाँ पर फूल होते हैं , वहाँ पर खार भी होते
कभी सुख में कभी दुख में लगाते हम रहें गोते
हमारी ज़िंदगी में कुछ नहीं देखो हमारा है
अगर पाते इधर कुछ हम,उधर रहते भी हैं खोते
124
तुम्हारे स्वप्न अपने नैन में हर पल संजोती हूँ
बिछड़ने के खयालों से भी डरती और रोती हूँ
समझने की करो कोशिश,गलत समझो नहीं मुझको
मैं तुमसे प्यार करती हूँ तभी नाराज़ होती हूँ
123
तुम्हारे ही सपन हम नैन में हर पल संजोते हैं
बिछड़ने के खयालों से भी डरकर खूब रोते हैं
समझने की करो कोशिश,गलत समझो नहीं हमको
बहुत ही प्यार है तुमसे तभी नाराज़ होते हैं
डॉ
09।11।2013
122
टिकी नज़रें गगन पर हैं निकल भी चाँद अब आओ
छिपे हो बादलों में क्यों जरा मुखड़ा तो दिखलाओ
रखा उपवास है मैंने करूं पूजन तुम्हारा मैं
सुहागन ही रहूँ मुझको यही वरदान दे जाओ
121
लुटाकर चैन इस दिल का बहुत लाचार बैठे हम
तुम्हारी बात में आकर सभी कुछ हार बैठे हम
कलाकारी तुम्हारी हम समझ अब तक नहीं पाए
कुल्हाड़ी पाँव पर अपने स्वयं ही मार बैठे हम
03-11-2023
120
फूल चुन- चुन के लाई तुम्हारे लिए
रीत हर इक निभाई तुम्हारे लिए
तुम रहो खुश हमेशा यही सोचकर
पीर सँग की सगाई तुम्हारे लिए
119
रीत सब तोड़कर चली आयी
रिश्ते सब छोड़कर चली आयी
प्यार में तेरे श्याम बन जोगन
जग से मुंह मोड़कर चली आयी
118
मुझे तूने अभी जाना नहीं है
लगे अच्छे से पहचाना नहीं है
मुहब्बत सात जन्मों का तराना
ये कुछ दिन का ही बस गाना नहीं है
117
हमने खुद को महकाया है , सुन्दर भावों के चंदन से
खूब सजाया है हिंदी को,मिलकर इसके स्वर व्यंजन से
बिन सोचे समझे ही हमने ,पाप अनेकों कर डाले हैं
लेकिन पुण्यों का फल पाया, हमने केवल गुरु वंदन से
09 08 2023
116
चल रहे हैं एक पथ पर मन का पर रस्ता जुदा है
जब हो समझोते का जीवन तब सुकूँ किसको मिला है
प्रेम की आवाज़ छिप जाती है मतभेदों के पीछे
और लगता है सफ़र अपना यहाँ काँटों भरा है
11.07.2023
डॉ अर्चना गुप्ता
115
बात दिल की सुनी वंदना हो गयी
आत्म चिंतन किया साधना हो गयी
शब्द को जब पिरो गीत मैंने रचा
तो वो भावों भरी अर्चना हो गयी
30-06-2023
114
बार बार दिल तोड़ा तुमने , फिर भी है अपनाया हमने
बीती बातों को बिसरा कर, तुमको गले लगाया हमने
तुमने समझा जीत गए तुम, लेकिन ये थी हार तुम्हारी
टूट टूट कर बिखर गये पर , तुमको नहीं बताया हमने
113
उड़े हैं रंग फागुन के हुआ रंगीन है जीवन
अधर पर गीत हैं मीठे बजाती राग है धड़कन
गुलाबी गाल यूं दिखते लगी हो शर्म की लाली
मनाने रंग का उत्सव हिलोरें ले रहा तन -मन
112
शब्द उनके बहुत नुकीले हैं
ज़ख़्म जिनसे हमारे छीले हैं
बात ऐसी लगी है इस दिल को
आज तक नैन अपने गीले हैं
111
कभी भी दुख के अंधेरों से तुम नहीं डरना
हमेशा उम्र की गागर को प्यार से भरना
खयाल बस रहे छूटे जमीं न पैरों से
गगन को छूने की हसरत को कम नहीं करना
110
अगर अपने ग़म हम सुनाने लगेंगे
तो पत्थर भी आँसू बहाने लगेंगे
मिली जो हमें ये मुखौटों की दुनिया
समझने में इसको ज़माने लगेंगे
109
मुहब्बत का कभी भी तुम यहाँ व्यापार मत करना
तराजू पर कभी भी तोल कर तुम प्यार मत करना
बिछड़ना और मिलना तो है बस तकदीर के हाथों
लगाकर रोग शक का दिल कभी बीमार मत करना
108
अगर विश्वास उठ जाता कभी वापस नहीं आता
पुराना रूप रिश्तों का कभी फिर बन नहीं पाता
तभी तो चाहिए रखना समय का ध्यान जीवन में
फ़िसल जाता समय जब हाथ से अफ़सोस रह जाता
107
विस्फोटों से जोशीमठ का ,छलनी सीना कर डाला
गहरी गहरी खोद सुरंगें, उसे खोखला कर डाला
भूत पर्यटन का सिर चढ़कर,खोल रहा है सच्चाई
यौवन की खातिर जोशीमठ, देखो बूढ़ा कर डाला
106
बहुत आँखें तुम्हारी बोलती हैं
छिपे सब राज़ दिल के खोलती हैं
कभी तो लगने लगता है हमें ये
हमारा प्यार पल पल तोलती हैं
105
हमको’ ऐसा लगे हमको वैसा लगे
क्या बतायें हमें हमको कैसा लगे
होश में हम नहीं हैं तुम्हारे बिना
एक दिन भी हमें वर्ष जैसा लगे
104
बोलना हो या हो लिखना हिंदी में ही हम बताएं
काम हिंदी में करें उसमें नहीं हम हिचकिचाएं
याद रखना होगा हमको मातृभाषा माँ हमारी
स्थान देकर सबसे ऊँचा मान हिंदी का बढ़ाएं
103
उमीदों के चरागों को कभी बुझने नहीं देना
मुहब्बत की सदाओं को कभी रुकने नहीं देना
समय अच्छा बुरा कोई भी हो सब बीत जाता है
कभी भी डर के आगे सिर को तुम झुकने नहीं देना
102
न गीतों की न गज़लों की बड़ी मैं कोई ज्ञानी हूँ
मैं अपने दिल के भावों की सरल सीधी रवानी हूँ
नहीं कोई तमन्ना है किसी भी ताज की मुझको
मैं दिल की बात लिखती हूँ मैं अपने दिल की रानी हूँ
101
यहाँ पर लोग भी ऐसे जो करते हैं दिखाते हैं
अगर वो दान करते हैं तो फ़ोटो भी खिंचाते हैं
गरीबी को उघाड़ा करते हैं अपना प्रदर्शन कर
मगर इस कर्म को दरियादिली अपनी बताते हैं
100
क्रिसमस ट्री या तुलसी हो ,ये सब वृक्ष हमारे हैं
पर्यावरण हमारा करते, शुध्द हमेशा सारे हैं
तुम धर्मों की खींच लकीरें,इन पेड़ों को मत बाँटो
मानव जीवन की साँसों के, ये ही सदा सहारे हैं
99
भीतर भरी उदासी लेकिन, बाहर से मुस्काते हैं
चेहरे पर हम ख़ुशी दिखाकर , लोगों को भरमाते हैं
टूट-टूट कर भले हमारी, आँखों में ही ये चुभते
लेकिन सपनों की दुनिया हम, फिर भी रोज़ सजाते हैं
30-11-2022
98
करें प्यार जिससे उसी से शिकायत
बड़ी कब मुहब्बत से कोई इबादत
वो धनवान सबसे बड़ा है जगत में
अगर पास जिसके है चाहत की दौलत.
30-11-2022
97
दीप सब सद्भाव का मिलकर जलाएं
प्रेम से संसार को हम जगमगाएं
घर सजाएं रिश्तों की रंगोलियों से
इस तरह दीपावली हर दिन मनाएं
96
बरस रहे हैं काले मेघा, धरती भी है गीली गीली ।
दिनकर छुपा हुआ बादल में,भोर हुई है सीली सीली
बदली बदली देख फ़िजाएँ मौसम ने भी करवट बदली,
हवा चल रही हौले हौले, मगर लग रही है बर्फीली
09-10-2022
95
जन गण मन हम सबका अपना गान है
यही भजन गुरुवाणी और अज़ान है
नहीं इसे बंटने देंगे हम हिस्सों में
ये हम सबका प्यारा हिंदुस्तान है
14-08-2022
94
जमी थी बर्फ यादों की , उसे पिघला नहीं पायी
हृदय की पीर मैं अपनी तुम्हें बतला नहीं पायी
भले ही वक़्त के सँग- सँग मैं बढ़ती ही गई आगे
मगर ये सत्य है अपना भुला पिछला नहीं पायी
मगर मैं सत्य जीवन का कभी झुठला नहीं पायी
डॉ
93
आँधियों से स्वयं को बचाते रहे
हम अँधेरों में दीपक जलाते रहे
सुन सकोगे हमारी न तुम दास्तां
हर तरह ज़िन्दगी से निभाते रहे
9-08-2022
92
जरूरत पे मुँह को छिपाते नहीं
अकेला कभी छोड़ जाते नहीं
वही मित्र होते हैं सच्चे यहाँ
जो दिल दोस्तों का दुखाते नहीं
7-8-2022
91
पहाड़ ग़म का है भारी उठाऊँ मैं कैसे
बता ऐ ज़िन्दगी तू मुस्कुराऊँ मैं कैसे
न पास सुख की नदी है न चैन का झरना
तो प्यास अपनी बतादे बुझाऊँ मैं कैसे
डॉ
3-08-2022
1212 1122 1212 22
90
उधर बरसता सावन
इधर तड़पता है मन
दिल की धड़कन बोले
आ जाओ अब साजन
डॉ
89
ज़िन्दगी में हर किसी को योग करना चाहिए
दूर तन से और मन से रोग करना चाहिए
इस प्रकृति ने हर किसी को जो दिया संसार में
सोचकर उस वस्तु का उपभोग करना चाहिए
डॉ
88
अपने सम्बन्धों की करते रहे बुनाई
कहीं सिलाई और कहीं पर की तुरपाई
कहीं कहीं पर तार तार जब होते देखा
जान सके तब इस जीवन की हम सच्चाई
9-06-2022
87
मन के अंदर ही बसा, अभिलाषा का गाँव
जहाँ दुखों की धूप है, और सुखों की छाँव
इच्छाओं का ‘अर्चना ,कभी न होता अंत
भागा भागा मन फिरे,मिले न फिर भी ठाँव
86
अभिलाषाएं ही जीवन में, खुशियाँ लेकर आती हैं
ये हम को जीवन जीने का, मकसद देकर जाती हैं
लेकिन बहुत जरूरी होता, मन का संतोषी होना
वरना इक दिन हावी होकर, हमको बहुत सताती हैं
85
सजायीं महफिलें हमने, मिला हमको अकेलापन
हुये न फूल भी अपने, कटा काँटों में ही जीवन
गलत हम थे गलत हम हैं, सही हम हो नहीं सकते
तभी अपनों ने ठुकराया, सदा खाली रहा दामन
84
रोज हम इम्तिहां दे सकेंगे नहीं
वक़्त तेरे सितम हम सहेंगे नहीं
ज़िन्दगी हमसे हर बार कहती रही
थक गये ये कदम अब चलेंगे नहीं
3-06-2022
83
दिया दुआओं का है जलाती, ग़मों के तम से बचाती है माँ
आशीषों का दीप है जलाती, दुखों के तम से बचाती है माँ
नज़र का टीका लगा लगा कर, बुरी बलायें भगाती है माँ
सृजन करे सृष्टि का जगत में नहीं कोई भी है माँ के जैसा
बिना बताये ही बात दिल की हमारी सब जान जाती है माँ
28-05-2022
82
इस मन के कोरे कागज पर, तुमने अंकित प्यार किया
मेरी खाली झोली में भर , खुशियों का अम्बार दिया
समा गये आँखों में ऐसे , बस तुम ही तुम दिखते हो
मेरे दिल की धड़कन भी अब,हर दम बोले पिया पिया
डॉ
81
महकते कागजों के फूल देखे हैं
घरों को भी सजाते शूल देखे हैं
नहीं कुछ भी पता इस ज़िन्दगी का है
यहाँ होते सितारे धूल देखे हैं
80
रखी है ओढ़नी सिर पर बुजुर्गों की दुआओं की
हमें छू भी सकें आकर न हिम्मत है बलाओं की
हमारी ज़िन्दगी में ये खड़े रहते हैं बरगद से
न चिंता मेघ की हमको न ही तपती हवाओं की
22-05-2022
79
तुम्हारी साँस चलने से हमारी साँस है चलती
तुम्हारे ही सहारे तो हमारी आस है पलती
हुये मजबूर दिल से हम जो तुमसे प्यार कर बैठे
गये तुम दूर क्या हमसे तुम्हारी ही कमी खलती
22-05-2022
78
संस्कारों से सिंचित होकर , बढ़ता है परिवार
और बाँधकर इक डोरी में,रखता सबको प्यार
रिश्ते – नाते तो जीवन में , होते हैं अनमोल
इनसे ही मिलता है हमको, खुशियों का संसार
15-05-2022
77
सिखलाती है सत्य बोलना, झूठ बोलती खुद रहती
बच्चों के हित के खातिर माँ , नई कहानी नित क हती
कितना प्यारा रिश्ता होता है माँ का बच्चों के सँग
अपनों की खुशहाली को वह ,जग के सारे दुख सहती
76
भोर सुनहरी रात रुपहली, जीवन की हरियाली माँ
पीती खुद ग़म की हरप्याली,घर लाती खुशहाली माँ
माँ से ही घर घर लगता है,माँ बिन रहता सूनापन
आँगन की तुलसी, रंगोली, है होली दीवाली माँ
75
हमारे दिल में आशा का नया सूरज उगाती है
कवच बनकर हमें माँ ही बलाओं से बचाती है
सतत सन्तान के सुख को बढ़ाने में लगी रहती
जहाँ काँटे बिछे दिखते वहाँ आँचल बिछाती है
74
नाम डर का ह्रदय से मिटा दीजिये
ज़ख़्म की आप हँसकर दवा कीजिये
ज़िन्दगी के लिये बस किसी भी तरह
मुस्कुराहट को अपनी बचा लीजिये
73नवदुर्गा
1
पर्वतराज हिमालय केघर, पुत्री बनकर जन्म लिया
और शैल पुत्री भी इनको, तभी जगत ने नाम दिया
हर नवदुर्गाओं में पहली , ये दुर्गा कहलाती हैं
इनकी पूजा चन्द्र कष्ट से, मुक्ति हमें दिलवाती है
72
रीत सनातन धर्म की, सिखलाती संस्कार
नवसंवत्सर का करें, हम स्वागत सत्कार
देकर मंगल कामना, भेजें शुभ सन्देश
अपनाये हम संस्कृति, करें देश से प्यार
71
आओ विश्व रंगमंच दिवस, मिलकर सभी मनायें
कलाकार की कद्र करें, उसका मान बढायें
करें मनोरंजन ये सबका, अपना हुनर दिखाकर
तो हम भी किरदार हमारा, अच्छी तरह निभायें
70
आज़ादी के दीवानों को, भूल नहीं हम पाते हैं।
सोच सोच कर वो मंजर, आँखों में आँसू आते हैं।
हँसते हँसते जान जिन्होंने, भारत माँ पर कर डाली
उन वीरों को श्रद्धा से हम,अपने शीश नवाते हैं
69
आज विश्व कविता दिवस है ……
कविता भावों की बहती सरिता है
दर्द की दवा है दिल की वनिता है
मुझमें रहती है यूँ ऐसा लगता है
कविता में मैं हूँ मुझमें कविता है
डॉ अर्चना गुप्ता
68
तुम्हारा नाम सुनते ही गुलाबी गाल जाता
अगर तुम सामने आते, शरम से लाल हो जाता
जरा सा पास तुम आकर ,पकड़ लेते अगर बैंया
अजी मत पूछिए दिल का, बुरा क्या हाल हो जाता
18-03-2022
67
प्यार की कह रही है कहानी नई
अधखुले से नयन की जुबानी नई
खिल रही है अधर पर सजीली हँसी
लग रहा मिल गयी जिंदगानी नई
66
अधखुले से नयन की अजब बात है
प्यार की प्यार से अब मुलाकात है
सज रही है अधर पर नशीली हँसी
लग रहा आज इनकी मिलन रात है
डॉ
65
दक्ष पिता की राजकुमारी, शिव शंकर की हुई दिवानी
बनी संगिनी युगों युगों की ,घड़ी सुखद है आज सुहानी
मंगल पावन है शिवरात्रि , घर परिवार सभी मिल गाते
शिव गौरा से हुई जगत में, परिवारों की शुरू कहानी
64
नील कंठ ,शिव बन गये,कर के विष का पान
ये तो भोले नाथ हैं, दे देते वरदान
हो जाते हैं यदि कुपित, करते तांडव नृत्य
पर प्रतिपालक शिव करें, सदा लोक कल्यान
63
वो एक नदी बनकर, चुपचाप बही बरसों
वो वक्त के साँचे में, खामोश ढली बरसों
ये त्याग समर्पण की, नारी की कहानी है
फूलों को बचाने में, खारों में रही बरसों
है’अर्चना’कुछ किस्मत,कुछ बदला ज़माना है
नारी की चलेगी अब, पुरुषों की चली बरसों
62
तेरी यादों से जीवन भर, मैंने है शृंगार किया
खुशियाँ लेकर उनसे दिल की , ये जीवन गुलजार किया
तेरी चाहत की दौलत से, रहती सदा अमीरी में
मैंने मीठी यादों चुनकर, रंग महल तैयार किया
24-02-2022
61
एक म्यान में कितनी सारी,वो तलवारे रख लेते हैं
और जेब में अलग अलग वो, देखो चारे रख लेते हैं
कहते रहते यूँ तो सबसे,अपने को नादान बहुत ही
अपनी बातों से सबका दिल, वो बेचारे रख लेते हैं
60
धोती कुर्ता सर पर टोपी, नेता की पहचान
अपनी जेबों को भरने का इनको आता ज्ञान
बातों में तो खूब झलकती , वादों की भरमार
नहीं देश की चिंता इनको, बस पैसा ईमान
59
हर ओर ही नेताओ का चर्चा है आजकल
हाथों में इनके वादों का पर्चा है आजकल
कुर्सी दिखा रही इन्हें सपने बड़े – बड़े
फिलहाल हो रहा बड़ा खर्चा है आजकल
58
कुछ ही पल की मिले पर खुशी तो मिले
जुगनुओं की सही रोशनी तो मिले
पाँव चादर के’ जितने ही फैलाएंगे
पर हमें कोई चादर सही तो मिले
21-02-2022
57
आता वक़्त पुराना वापस , उसको बाहों में भर लेती
खूब भिगोती तन को अपने,मन को भी मैं तर कर लेती
पाठ पढ़ाये हैं जीवन ने, अनगिन पढ़े किताबों में भी
हुआ गलत जो भी अब तक है, ठीक उसे भी मैं कर लेती
11-02-2022
56
22-01-2022
तितली रंगबिरंगी जिसके , रंग लगें सब अच्छे हैं
फूलों से सम्बन्ध हमेशा , उसके रहते सच्चे हैं
भँवरा तो गुनगुन गुनगुन कर , कितना शोर मचाता है
तितली के चुप रहने पर भी , जग में ज्यादा चरचे हैं
रखी है ओढ़नी सिर पर बुजुर्गों की दुआओं की
हमें छू भी सकें आकर न हिम्मत है बलाओं की
हमारी ज़िन्दगी में ये खड़े रहते हैं बरगद से
न चिंता मेघ की हमको न ही तपती हवाओं की
डॉ
09-1-2022
55
नहीं सच बात कहने से कभी यारों मैं डरती हूँ
जिसे स्वीकार करता दिल वही मैं बात करती हूँ
यही है आरजू मेरी बनूँ इंसान मैं सच्ची *
वतन से प्यार करती हूँ वतन पर अपने मरती हूँ
54
कहानी ज़िन्दगी की कुछ अधूरी रह ही जाती हैं
कहाँ सब हसरतें दिल की यहाँ हो पूर्ण पाती हैं
लकीरों में लिखा है जो वही बस ज़िन्दगी देती
सदायें भी मुहब्बत की वहाँ से लौट आती हैं
53
नहीं दो नाव में रख पांव चलना चाहिये देखो
विचारे बिन न कोई काम करना चाहिये देखो
ये दिल तो है बहुत पागल समझता ही नहीं कुछ है
अगर ठोकर मिले फिर तो संभलना चाहिए देखो
52
दिल से हम दिल मिलाना नहीं चाहते
फिर से बनना दिवाना नहीं चाहते
याद अब भी हमें ज़िन्दगी के सबक
गलतियाँ दोहराना नहीं चाहते
11-12-2021
51
हो गया घर मकान क्यों है अब
सिर्फ अपना बखान क्यों है अब
चीर देती कलेजा अपनो का
इतनी कड़वी जुबान क्यों हैअब
50
सदा फ़र्ज़ अपना निबाहा है हमने
दिया तूने जो भी सराहा है हमने
पता है हमें तू बहुत बेवफा है
मगर ज़िन्दगी तुझको चाहा है हमने
49
खिला ही प्यार से रहता है इस तरह ये मन
बहार ले के चला आता जिस तरह सावन
न टूट सकता वो रिश्ता जुड़ा हो जो दिल से
सुमन-सुगन्ध के जैसा अटूट ये बंधन
48
फूल को खुशबू से उसकी, कर अलग सकते नहीं
स्वप्न आँखों के अलावा तो कहीं पलते नहीं
दर्द रहते हैं दिलों में अश्रु से अनुबंध कर
ये न हों तो कल्पना में गीत भी सजते नहीं
47
काँटों में भी गुलाब हँसते है
ये हुनर हम जनाब रखते हैं
अपने दिल को दबा दबा कर हम
आँसुओं पर नकाब करते हैं
27-11-2021
46
नैनों में तारों से झिलमिलाते हो तुम
तो कभी दीप से जगमगाते हो तुम
इस तरह बन गये हो मेरी ज़िन्दगी
भावों में गीत बन गुनगुनाते हो तुम
1-11-2021
45
मधुर हो जाते छोटी-मोटी सी तकरार से रिश्ते
हो जाते और भी प्यारे जरा मनुहार से रिश्ते
हमारी ज़िंदगी में ये बड़े अनमोल होते हैं
कहीं ये गुम न हो जायें सहेजो प्यार से रिश्ते
26-9-2021
44
अभियंता दिवस की हार्दिक बधाई 💐💐💐💐
जन जीवन आसान बनाया
नभ से धरती को मिलवाया
बड़े बड़े कामों को करके
अभियंताओं ने दिखलाया
15-09-२०२१
43
भिन्न भिन्न भाषाओं के ये, शब्दों को अपनाती है
मात समान दुलार करे संस्कारों को सिखलाती है
सीधी सादी भोली भाली भारत की बोली हिंदी
बैर भाव से दूर खड़ी बस प्यार बांटती जाती है
42
मेरे सारे गीत सहारे बन जाएंगे
मन के सच्चे मीत तुम्हारे बन जाएंगे
नहीं डूबने देंगे के गम के सागर में
जब होगे मझदार, किनारे बन जाएंगे
4।9।2021
41
2-9-2021
साँझ घिरेगी धीरे धीरे, भोर सदा कब रह पाएगी
हर बहार अपनी बगिया में , पतझड़ भी लेकर आएगी
जैसे फूलों को खिलने पर, मुरझाना भी तो पड़ता है
वैसे ही जीवन में आकर , मौत गले खुद लग जाएगी
40
18-08-2021
कब नदी रह सकी है बिना कूल के
कब है मंज़िल मिली राह को भूल के
हार बिन है नहीं जीत का मोल कुछ
फूल भी कब खिला है बिना शूल के
डॉ
17-08-2021
39
उड़ता रहता नील गगन में , एक परिंदे जैसा मन
कैद कफ़स में होकर भी तन,पकड़े आशा का दामन
विश्वास स्वयं पर है मुझको , द्वार प्रगति का खोलूंगी
उड़कर ऊँचे आसमान को ,कर लूँगी अपना आँगन
38
राहों में अवरोध मिले तो , उससे मत घबरा जाना
कहीं शूल तो कहीं मिलेगा,फूलों का भी नज़राना
हम तो यहाँ कर्मयोगी हैं, चलना काम हमारा बस
छोड़ यहीं सब जाना है जब,फिर क्या खोना क्या पाना
37
हाथों में बनी हुई रेखा
किस्मत का उसमें सब लेखा
दिखता है उसको वैसा ही
जिसने जिसको जैसा देखा
36
भारत माँ के वीर सपूतों , जग में मान बढ़ाया है
खून बहाकर तुमने अपना ,हम पर कर्ज़ चढ़ाया है
मान तिरंगे का रखने को ,हँसकर प्राण लुटा डाले
देश प्रेम का अद्भुत तुमने ,सब को पाठ पढ़ाया है
16-08-2021
35
मैं आँखों में स्वप्न सजाकर ,नई कहानी लिखती हूँ
नित्य हौसलों के पंखों से ,खूब उड़ाने भरती हूँ
13-08-2021
काट रही मैं नारी अपने , पाँवों की ज़जीरों को
सपनों को सच करने का मैं हुनर पास में रखती हूँ
34
होंठ सिलकर ज़िन्दगी को जिसको जीना आ गया
मुस्कुराकर इस जगत में दर्द पीना आ गया
पाठ भी इंसानियत का पढ़ लिया जिसने यहाँ
तो समझ लो उसको जीने का करीना आ गया
3-8-2021
33
मत विरह की बात करना ये सहा न जाएगा
बिन तुम्हारे एक पल हमसे रहा न जाएगा
मुस्कुराना तो पड़ेगा इस ज़माने के लिए
हाल दिल का पर किसी से भी कहा न जाएगा
32
बात दिल की जरा सुनाने दो
बोझ थोड़ा सा तो हटाने दो
रोकना अब नहीं उन्हें कोई
उनको जी भर के आजमाने दो
31
साथ तेरे बता रहूँ कैसे
सारे बंधन भी जोड़ दूँ कैसे
मेरी किस्मत में जब लिखा ही नहीं
तुझको रब से मैं छीन लूँ कैसे
11.5.2021
30
जबसे मुख हमसे तुमने मोड़ा है
हर तरह से ही हमको तोड़ा है
हाल अब हो गया हमारा ये
हमने विश्वास करना छोड़ा है
08-4-2021
29
किसी के इतने मत होना
पड़े फिर बाद में रोना
यहाँ पर नकली हैं आँसू
न उनमें डूब कर खोना
28
किया जो प्यार उसे फिर निभाना पड़ता है
क्यों बार बार तुम्हें ये बताना पड़ता है
जी जान से ही अगर कोई भी हमें चाहे
भरोसा टूटने से भी बचाना पड़ता है
27
तुम्हारी याद आकर जब कभी भी थपथपाती है
बदलती करवटें रहती नहीं फिर नींद आती है
बरसती रहती ये आँखें तड़पता रहता है ये दिल
लगे तन्हाइयों में मेरी आ बरसात जाती है
26
प्रताड़ित जो मुझे अबला समझ दिन रात करते हैं
वो ममता को मेरी कमजोरियां शायद समझते हैं
किया मजबूत अब दिल को कि मैं अब आज की नारी
तनिक भी हौसले मेरे डिगा अब वो न सकते हैं
25
नदी की धार के जैसे सतत निष्काम बहती हूँ
बंधी ममता के बंधन में खुशी से अपनी रहती हूँ
मैं नारी हूँ मेरा तो काम ही देखो सृजन करना
मगर होती दुखी जब उनसे ही अपमान सहती हूँ
24
फूल जैसे तुम अगर तो मैं भी खुशबू हूँ तुम्हारी
चाँद की है चाँदनी सँग,वैसी ही जोड़ी हमारी
साथ तो अपना ऐ साथी जन्मों जन्मों का हमारा
हो जुदा सकती नहीं हम, रुह की रुह से अपनी यारी
23
सुमन बन खुशबुएं अपनी लुटाना जानते हैं हम
मगर शूलों से भी यारी निभाना जानते हैं हम
हमारी चुप से मत कमजोर हमको तुम समझ लेना
कि सच क्या आइने को भी दिखाना जानते हैं हम
04-03-2021
22
सामान समेत सभी अपना घर लौटे हेमंत
धरती नभ दोनों पर छाए, जो ऋतुराज बसंत
मादक के फूलों की खुशबू, मन भी है मदहोश
वन, उपवन की शोभा देखो सजे हैं दिग-दिगन्त
21
है धरोहर हमारी धरा ये गगन
देश के प्रेम की दिल में सबके अगन
बिखरे रहते यहाँ पर विविध रंग हैं
सबसे अच्छा जगत में हमारा वतन
20
मंदिर मस्जिद में बांटे जो, मन के वो दरवाजे खोलो
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई, मजहब में मत खुद को तोलो
प्यार करो अपनी माटी से, छोड़ो राजनीति की बातें,
सबसे पहले भारतीय हम ,भारत माता की जय बोलो
19
तन का तनना,मन का मनना, होती आदत है
तन का तपना, मन का दुखना, करता आहत है
तन नश्वर है मन चंचल है ,इन पर जोर नहीं
तन स्वस्थ हो मन स्वच्छ तो, मिलती राहत है
18
नैन के दीप जलते रहते हैं
अश्क चुपचाप बहते रहते हैं
आती हर वक़्त हिचकियाँ रहतीं
वो हमें याद करते रहते हैं
17
फूल के सँग शूल की होती चुभन भी
देखता है रूप पतझड़ का चमन भी
सीखने होंगे हमें गुर ज़िन्दगी के
सुख अगर है तो यहाँ दुख के चलन भी
16
पक्षी व्याकुल प्यास से,मिला नहीं पर नीर
ये किससे जाकर कहें,अपने मन की पीर
जल संरक्षण का हमें, रखना होगा ध्यान
जल से ही संसार है, जल से ही ये जान
15
पूछ मत मैं जा रहा हूँ साथ क्या ले जाऊँगा
तेरी यादों का बड़ा सा काफिला ले जाऊँगा
सोचता दिन रात मैं भी तेरे बारे में यही
क्या करेगी तू तेरा जब दिल चुरा ले जाऊँगा
14
बिच्छू भी काटे अगर, बच जाती है जान
मगर नहीं उपचार है, काटे गर इंसान
मानवता का हो रहा, दिन प्रतिदिन यूँ ह्रास
मुश्किल दुश्मन मीत की,अब करनी पहचान
13
दीप जलें खुशियों के इतने, रात न कोई काली हो
गम की पड़े न परछाई भी, हर सूँ बस खुशहाली हो
घर में लक्ष्मी मात विराजें, और शारदा माँ मन में
जगमग जगमग हो ये जीवन, सबकी शुभ दीवाली हो
12
मापनी– 221 1222 221 1222
इस प्रेम कहानी का ,उद्गार तुम्हीं तो हो
जीवन की इमारत का ,आधार तुम्हीं तो हो
परछाई मेरी बनकर ,तुम साथ सदा रहना
है सत्य यही मेरा ,संसार तुम्हीं तो हो
11
आना है इसको आएगा, आने वाला कल
आकर फिर कल बन जायेगा, आने वाला कल भरी हुई सुख दुख से रहती, उसकी तो झोली
किसे पता पर क्या लाएगा , आने वाला कल
10
दिये जो ज़ख्म हैं तुमने हरे से रहते हैं
सदा जो अश्क़ नयन में भरे से रहते हैं
थमा है आज तलक सिलसिला नहीं इनका
तभी तो मिलने पे तुमसे डरे से रहते हैं
9
बस तेरे प्यार से दिल ये आबाद है
इसमें रहती सदा तेरी ही याद है
अब तो आ जाओ इतना सताओ नहीं
साथ तेरे मेरी ज़िंदगी शाद है
8
नफरत से कितने ही रिश्ते छूटे हैं
लेकिन हम तो अपनेपन से टूटे हैं
कोई भी हो वजह मगर इस दुनिया में
किस्मत पर ही सदा ठीकरे फूटे हैं
7
पसीने से ये अपनेअन्न धरती पर उगाता है
कृषक ही इस धरा पर हम सभी का अन्नदाता है
किसानों की बदौलत ही हमारा देश कृषि उन्नत
सियासत खेलना इन पर नहीं हमको सुहाता है
6
धुंध जीवन पे छाने लगी है
धुंधला सब दिखाने लगी है
उम्र भी हाथ अपने बढ़ाकर
ज़िन्दगी से मिलाने लगी है
5
दिन सूरज जैसा कनक, रजत चाँद सी रात
हो जीवन में आपके,प्यार भरी बरसात
पाँवों को धरती मिले, सपनों को आकाश
जीवन में मिलती रहे, खुशियों की सौगात
4
सर्दी के आतंक से, कांप रहे सब अंग
अकड़े ऐसे जा रहे, लगी हुई ज्यूँ जंग
कुहरे की भी पढ़ रही, बड़ी भयंकर मार
दिनकर भी नखरे दिखा,खूब कर रहे तंग
3
कहीं छोटा कहीं लंबा तमाशा ज़िन्दगी ये
डुबोती तारती लगती विपाशा ज़िन्दगी ये
यहाँ पर मोड़ सीधे टेढ़े मेढ़े हर तरह के
दिखाती है निराशा में भी आशा ज़िन्दगी ये
2
21-12-2020
पलते पलते वृद्ध हो गये दिल के सपने
दरवाजे थे बन्द लगी दीमक सी लगने
चला मुसलसल वक़्त कहीं भी रुका ही नहीं
हुये अकेले दूर हो गये जो थे अपने
1
हम कहें कुछ तो लगे तुमको बहाना
हमको आता ही नहीं बातें बनाना
जीतना हम चाहते तुमसे नहीं हैं
इसलिये आता नहीं हमको हराना