मुक्तक
मुक्तक
कुछ यादों के झीने परदे, कुछ यादें बाकी हैं
सांसों के इस महासमर में, कुछ बातें बाकी हैं
उठा रक्खा है सिर पर देखो, ये चींटी पहाड़ सा
पूछ रही हैं सदियां हमसे, क्या रातें बाकी हैं।।
सूर्यकांत
मुक्तक
कुछ यादों के झीने परदे, कुछ यादें बाकी हैं
सांसों के इस महासमर में, कुछ बातें बाकी हैं
उठा रक्खा है सिर पर देखो, ये चींटी पहाड़ सा
पूछ रही हैं सदियां हमसे, क्या रातें बाकी हैं।।
सूर्यकांत