मुक्तक7
22-11-2018
1
उनसे ख्वाबों में बात होती थी
आँखों आंखों में बात होती थी
चलता था रूठना मनाना जब
बस इशारों में बात होती थी
2
ज़िन्दगी का अजीब मेला है
भीड़ में आदमी अकेला है
मिलते उलझे हुए खुशीऔर गम
आँसुओं का बड़ा झमेला है
3
ज़िन्दगी दर्द की रवानी है
खूबसूरत मगर कहानी है
है कथानक अलग अलग लेकिन
मौत सबको गले लगानी है
4
पलते तो हैं स्वप्न हजारी आंखों में
मीठे होकर रहते खारी आँखों में
नहीं जानते दिल में कौन तुम्हारे है
हमने देखा हमें तुम्हारी आंखों में
5
पहन नफरत अगर लोगे तो जीना भूल जाओगे
अगर मय पी निगाहों से तो पीना भूल जाओगे
मुहब्बत दिल को कर देती बहुत गुमराह है यारों
अगर ये पाठ पढ़ लोगे सफीना भूल जाओगे
5
काव्य दीपक हम जलाते रहते हैं
रोज दीवाली मनाते रहते हैं
भावों के रंगों में रँग लेते हैं मन
होली सा हुड़दंग मचाते रहते हैं
6
करें प्यार जिससे उसी से शिकायत
बड़ी कब मुहब्बत से कोई इबादत
वो धनवान सबसे बड़ा है जगत में
अगर पास जिसके है चाहत की दौलत.
7
भीतर भरी उदासी लेकिन, बाहर से मुस्काते हैं
चेहरे पर हम ख़ुशी दिखाकर , लोगों को भरमाते हैं
टूट-टूट कर भले हमारी, आँखों में ही ये चुभते
लेकिन सपनों की दुनिया हम, फिर भी रोज़ सजाते हैं
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद