मुक्तक
लगाया पेड़ हमने इक, फलों का जब समय आया।
गिराया काट आरी से, छली बेशर्म हर्षाया।
मिला क्या खाक उसको जी, फकत बदनाम है जग में –
धुलाने पाप अपना वो, नहा गंगा कसम खाया।
रंजना सिंह “अंगवाणी बीहट “
लगाया पेड़ हमने इक, फलों का जब समय आया।
गिराया काट आरी से, छली बेशर्म हर्षाया।
मिला क्या खाक उसको जी, फकत बदनाम है जग में –
धुलाने पाप अपना वो, नहा गंगा कसम खाया।
रंजना सिंह “अंगवाणी बीहट “