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11 Jun 2022 · 1 min read

मुक्तक

लगाया पेड़ हमने इक, फलों का जब समय आया।
गिराया काट आरी से, छली बेशर्म हर्षाया।
मिला क्या खाक उसको जी, फकत बदनाम है जग में –
धुलाने पाप अपना वो, नहा गंगा कसम खाया।

रंजना सिंह “अंगवाणी बीहट “

Language: Hindi
186 Views
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