मुक्तक
काँप गयी रूह जब ऐसा मंजर देखा
अपनों के ही पास मिला खंजर देखा
हाथों में न कोई तीर,कमान न औजार था
रीसते रक्त पर नमी आँखो की बंजर देखा
-अर्चना शुक्ला”अभिधा”
काँप गयी रूह जब ऐसा मंजर देखा
अपनों के ही पास मिला खंजर देखा
हाथों में न कोई तीर,कमान न औजार था
रीसते रक्त पर नमी आँखो की बंजर देखा
-अर्चना शुक्ला”अभिधा”