*मुक्तक*
ये दौर है काँटों का फ़ूलों की कहाँ क़ीमत समझता है !
फूलों की क़ीमत तो बस फूलों का मालिक समझता है !!
फ़ूलों से भी नाज़ुक होते हैं प्यार भरे दिल के एहसास !
जो झटक ले डाली से फ़ूल वो कहाँ क़ीमत समझता है !!
ये दौर है काँटों का फ़ूलों की कहाँ क़ीमत समझता है !
फूलों की क़ीमत तो बस फूलों का मालिक समझता है !!
फ़ूलों से भी नाज़ुक होते हैं प्यार भरे दिल के एहसास !
जो झटक ले डाली से फ़ूल वो कहाँ क़ीमत समझता है !!