*मुक्तक*
जो अंधेरे में भी चमके वही हीरा कहलाता है !
वरना तपती धुप में तो कांच भी चमक जाता है !!
मौक़ा ख़ुशी का हो तो ग़ैर भी साथ हो लेते हैं !
दुःख में साथ खड़ा रहे वही अपना कहलाता है !!
जो अंधेरे में भी चमके वही हीरा कहलाता है !
वरना तपती धुप में तो कांच भी चमक जाता है !!
मौक़ा ख़ुशी का हो तो ग़ैर भी साथ हो लेते हैं !
दुःख में साथ खड़ा रहे वही अपना कहलाता है !!