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12 Jan 2022 · 1 min read

मुक्तक

यही पैग़ाम है दिल में, रखो जज़्बा मोहब्बत का
मिटाओ जड़ से नफ़रत यूँ,जलाओ दीप उल्फ़त का
दुआ दिल से यही मेरी, निकलती है सदा प्रीतम।
विवेकानंद के जैसा, हरिक बच्चा हो भारत का।।

प्रीतम श्रावस्तवी

Language: Hindi
227 Views
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