मुक्तक
यही पैग़ाम है दिल में, रखो जज़्बा मोहब्बत का
मिटाओ जड़ से नफ़रत यूँ,जलाओ दीप उल्फ़त का
दुआ दिल से यही मेरी, निकलती है सदा प्रीतम।
विवेकानंद के जैसा, हरिक बच्चा हो भारत का।।
प्रीतम श्रावस्तवी
यही पैग़ाम है दिल में, रखो जज़्बा मोहब्बत का
मिटाओ जड़ से नफ़रत यूँ,जलाओ दीप उल्फ़त का
दुआ दिल से यही मेरी, निकलती है सदा प्रीतम।
विवेकानंद के जैसा, हरिक बच्चा हो भारत का।।
प्रीतम श्रावस्तवी