मुक्तक
एक अनजान मुसाफिर से राह में पहचान हो गई
बातों बातों में ही सही उनसे जान पहचान हो गई
चलते चलते कहीं दूर निकल आये थे हम दोनों
दोनों की मंज़िल एक और डगर अनजान हो गई
एक अनजान मुसाफिर से राह में पहचान हो गई
बातों बातों में ही सही उनसे जान पहचान हो गई
चलते चलते कहीं दूर निकल आये थे हम दोनों
दोनों की मंज़िल एक और डगर अनजान हो गई