‘मुक्तक
‘मुक्तक’
अब तिमिर पे ज्योति टिमटिमा रहा है।
शायद, किसी को नहीं अब भा रहा है।
तमस पसंद हैं, इस जग में ज्यादा सब;
गिद्ध भी अब , मोरनी को लुभा रहा है।
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….. ✍️पंकज कर्ण
………….कटिहार।।
‘मुक्तक’
अब तिमिर पे ज्योति टिमटिमा रहा है।
शायद, किसी को नहीं अब भा रहा है।
तमस पसंद हैं, इस जग में ज्यादा सब;
गिद्ध भी अब , मोरनी को लुभा रहा है।
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….. ✍️पंकज कर्ण
………….कटिहार।।