मुक्तक
ज़ेहन में भर लिए नफ़रत जंग कर बैठे,
खुद से ही खुद की जिंदगी तंग कर बैठे,
मज़हबी रंग में रंगकर भूले हक़ीक़त को
अपना धर्म छोड़ा खुद को बेढंग कर बैठे
ज़ेहन में भर लिए नफ़रत जंग कर बैठे,
खुद से ही खुद की जिंदगी तंग कर बैठे,
मज़हबी रंग में रंगकर भूले हक़ीक़त को
अपना धर्म छोड़ा खुद को बेढंग कर बैठे