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3 Nov 2021 · 1 min read

मुक्तक

ज़ेहन में भर लिए नफ़रत जंग कर बैठे,
खुद से ही खुद की जिंदगी तंग कर बैठे,
मज़हबी रंग में रंगकर भूले हक़ीक़त को
अपना धर्म छोड़ा खुद को बेढंग कर बैठे

Language: Hindi
1 Like · 284 Views

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