मुक्तक
कुछ तकलीफें है जिनके वो क़सूरवार नहीं हैं,
मिट्टी वतन की बेचना उनका क़ारोबार नहीं हैं ,
उंगली लाख उठाओ, लगाओ नित आरोप नए
सभी जानते बेदाग़ हैं तुम जैसे दाग़दार नहीं हैं,,
कुछ तकलीफें है जिनके वो क़सूरवार नहीं हैं,
मिट्टी वतन की बेचना उनका क़ारोबार नहीं हैं ,
उंगली लाख उठाओ, लगाओ नित आरोप नए
सभी जानते बेदाग़ हैं तुम जैसे दाग़दार नहीं हैं,,