मुक्तक
कोरोना में….
जब व्यवस्था मसीहा बन कर नज़र आई
वक़्त रहते ही करोड़ों जिंदगी भी बच पाई
हीरे की हक़ीक़त तो परख के समझे वरना
धूप में तो कांच ने भी हीरे सी है चमक पाई
कोरोना में….
जब व्यवस्था मसीहा बन कर नज़र आई
वक़्त रहते ही करोड़ों जिंदगी भी बच पाई
हीरे की हक़ीक़त तो परख के समझे वरना
धूप में तो कांच ने भी हीरे सी है चमक पाई