मुक्तक
छंद – स्रग्विणी (मापनीयुक्त वर्णिक – 12 वर्ण)
मापनी – गालगा गालगा गालगा गालगा.
ध्रुव शब्द – ‘ चाहिए ‘
क्रोध के वेग को रोकना चाहिए।
प्रेम को सृष्टि में बांटना चाहिए ।।
कर्म के यज्ञ में होम देते चलो ।
लक्ष्य को धैर्य से भेदना चाहिए।।
-जगदीश शर्मा