Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Oct 2021 · 1 min read

मुक्तक

ना मोहब्बत रही ना फ़साने रहे,
ना रिश्तों के अब वो खज़ाने रहे,
सूरज से नज़रे मिलाने की ज़ुर्रत
ज़िद्द वाले कहाँ अब ज़माने रहे,,

Language: Hindi
2 Comments · 252 Views

You may also like these posts

#साहित्य_में_नारी_की_भूमिका
#साहित्य_में_नारी_की_भूमिका
पूनम झा 'प्रथमा'
कही अनकही
कही अनकही
Deepesh Dwivedi
अहंकार
अहंकार
Bindesh kumar jha
हवस में डूबा हुआ इस सृष्टि का कोई भी जीव सबसे पहले अपने अंदर
हवस में डूबा हुआ इस सृष्टि का कोई भी जीव सबसे पहले अपने अंदर
Rj Anand Prajapati
"साम","दाम","दंड" व् “भेद" की व्यथा
Dr. Harvinder Singh Bakshi
एक दिया बुझा करके तुम दूसरा दिया जला बेठे
एक दिया बुझा करके तुम दूसरा दिया जला बेठे
कवि दीपक बवेजा
3913.💐 *पूर्णिका* 💐
3913.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
जन्म से मृत्यु तक का सफर
जन्म से मृत्यु तक का सफर
Roshani jaiswal
भावी युद्ध ...
भावी युद्ध ...
SURYA PRAKASH SHARMA
(ग़ज़ल) तेरा साथ ही जब मयस्सर नहीं
(ग़ज़ल) तेरा साथ ही जब मयस्सर नहीं
प्रदीप माहिर
थोड़ा खुदसे प्यार करना
थोड़ा खुदसे प्यार करना
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
अंदाज अपना क्यों बदलूँ
अंदाज अपना क्यों बदलूँ
gurudeenverma198
''फॉलोवर्स
''फॉलोवर्स" का मतलब होता है "अनुगामी।"
*प्रणय*
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
शीश झुकाएं
शीश झुकाएं
surenderpal vaidya
वफ़ाओं की खुशबू मुझ तक यूं पहुंच जाती है,
वफ़ाओं की खुशबू मुझ तक यूं पहुंच जाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*दिव्य भाव ही सत्य पंथ है*
*दिव्य भाव ही सत्य पंथ है*
Rambali Mishra
विचार, संस्कार और रस [ एक ]
विचार, संस्कार और रस [ एक ]
कवि रमेशराज
मुझको चाहिए एक वही
मुझको चाहिए एक वही
Keshav kishor Kumar
" कश्ती "
Dr. Kishan tandon kranti
तुम्हारे कर्म से किसी की मुस्कुराहट लौट आती है, तो मानों वही
तुम्हारे कर्म से किसी की मुस्कुराहट लौट आती है, तो मानों वही
Lokesh Sharma
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
अपने दर्द को तू यूं सरे-आम न कर
अपने दर्द को तू यूं सरे-आम न कर
नूरफातिमा खातून नूरी
जागरण
जागरण
Shekhar Deshmukh
मानव का मिजाज़
मानव का मिजाज़
डॉ. एकान्त नेगी
प्रेम का संगीत...
प्रेम का संगीत...
Vivek Pandey
ऊसर धरती में जरा ,उगी हरी क्या घास .
ऊसर धरती में जरा ,उगी हरी क्या घास .
RAMESH SHARMA
दीपोत्सव
दीपोत्सव
Arvina
* तुगलकी फरमान*
* तुगलकी फरमान*
Dushyant Kumar
Loading...