मुक्तक
आईने की तरह सच दिखाता नहीं कोई,
सूरज के सिवा हमको जगाता नहीं कोई,
कमियाँ गिनानी थी तो फुर्सत में सब मिले
मुश्क़िल में हाथ अपना बढ़ाता नहीं कोई,,
आईने की तरह सच दिखाता नहीं कोई,
सूरज के सिवा हमको जगाता नहीं कोई,
कमियाँ गिनानी थी तो फुर्सत में सब मिले
मुश्क़िल में हाथ अपना बढ़ाता नहीं कोई,,