मुक्तक
बेजुबां शब्द हैं लेकिन बहुत कुछ बोल जाते हैं ,
छिपे दिल की गिरह के राज़ गहरे खोल जाते हैं,
कभी अंगार बन जाते, कभी तलवार बन जाते
कभी पुष्पों की ख़ुशबू सी हवा में घोल जाते हैं,,
बेजुबां शब्द हैं लेकिन बहुत कुछ बोल जाते हैं ,
छिपे दिल की गिरह के राज़ गहरे खोल जाते हैं,
कभी अंगार बन जाते, कभी तलवार बन जाते
कभी पुष्पों की ख़ुशबू सी हवा में घोल जाते हैं,,