मुक्तक
हौसलों के हौंसले भी आजमा कर देख लें,
बांध लें पत्थर परों को फिर उड़ाकर देख ले,
खुशियों में तो मुस्कराने का हुनर सब जानते
आँखों में आँसू लिए हम मुस्कुराकर देख लें,,
हौसलों के हौंसले भी आजमा कर देख लें,
बांध लें पत्थर परों को फिर उड़ाकर देख ले,
खुशियों में तो मुस्कराने का हुनर सब जानते
आँखों में आँसू लिए हम मुस्कुराकर देख लें,,