मुक्तक
हमारे हर रीति रिवाजों पर वो अपना तो ज्ञान ना दें,
कन्यादान का अर्थ समझे बिन नाम कन्यामान ना दें,
निक़ाह अपनी ही बेटी से करने के इच्छुक बैठे थे जो
गिरेहबान में झाँके अपने हम पर ज़्यादा ध्यान ना दें,,
हमारे हर रीति रिवाजों पर वो अपना तो ज्ञान ना दें,
कन्यादान का अर्थ समझे बिन नाम कन्यामान ना दें,
निक़ाह अपनी ही बेटी से करने के इच्छुक बैठे थे जो
गिरेहबान में झाँके अपने हम पर ज़्यादा ध्यान ना दें,,