मुक्तक
उजले से दिन लिख देती कभी अंधेरी रात लिखे,
कभी तुम्हारे, कभी हमारे अंतर्मन की बात लिखे,
दर्पण सी है कलम हमारी बिन बोले ही ये समझे
अधरों की मुस्कान कभी अश्रु की बरसात लिखे,,
उजले से दिन लिख देती कभी अंधेरी रात लिखे,
कभी तुम्हारे, कभी हमारे अंतर्मन की बात लिखे,
दर्पण सी है कलम हमारी बिन बोले ही ये समझे
अधरों की मुस्कान कभी अश्रु की बरसात लिखे,,