मुक्तक
वर्षों पिंजरे में क़ैद पंक्षी उड़ान क्या जाने,
भला धरणी के दर्द को आसमान क्या जाने,
है आसां नहीं समझना मूक प्राणी के दर्द को
वो किस दर्द से गुज़रते हम इंसान क्या जाने
वर्षों पिंजरे में क़ैद पंक्षी उड़ान क्या जाने,
भला धरणी के दर्द को आसमान क्या जाने,
है आसां नहीं समझना मूक प्राणी के दर्द को
वो किस दर्द से गुज़रते हम इंसान क्या जाने