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24 Sep 2021 · 1 min read

मुक्तक

कुछ लोग नई शक्ल रोज़ ढ़ाल रहे हैं,
खुद से ख़ुद की आबरू उछाल रहे हैं,
जिनको फ़िक्र है अपने शिनाख्त की
वो लोग ही पोशाकें अब संभाल रहे हैं,,

Language: Hindi
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