मुक्तक
ज़रूरत से ज़्यादा क़द ये अपना नाप लेते हैं,
बना इंजन हमें हमसे ही यह तो भाप लेते हैं
ज़रा बचकर रहें बहरूपियों से रंग बदलते हैं
ये हमारी आपकी बातें ही लेकर छाप लेते हैं,,
ज़रूरत से ज़्यादा क़द ये अपना नाप लेते हैं,
बना इंजन हमें हमसे ही यह तो भाप लेते हैं
ज़रा बचकर रहें बहरूपियों से रंग बदलते हैं
ये हमारी आपकी बातें ही लेकर छाप लेते हैं,,