मुक्तक
मूक बधिर ना रह सकती ज्वाला तो मुँह खोलेगी,
शब्दों को हथियार बना हर ज़ेहन में ऊर्जा घोलेगी,
मौन, विवश की संगति से मुर्दों की बू आ जाती
बोल सके ना ज्वाला तब भी रचनाएँ तो बोलेंगी,,
मूक बधिर ना रह सकती ज्वाला तो मुँह खोलेगी,
शब्दों को हथियार बना हर ज़ेहन में ऊर्जा घोलेगी,
मौन, विवश की संगति से मुर्दों की बू आ जाती
बोल सके ना ज्वाला तब भी रचनाएँ तो बोलेंगी,,