मुक्तक
आधार छन्द -मोटनक(मापनी युक्त, वार्णिक, 12,मात्रा)
मापनी-गागा,ललगा,ललगा,ललगा।
‘मुक्तक ‘
मेरे सपने सब टूट रहे।
साथी अपने सब छूट रहे।
है हाल बुरा अब क्या कहना-
जो रक्षक थे वह लूट रहे।
है घायल क्यों अरमान यहाँ।
क्यों आफत में अब जान यहाँ।
कैसे सपने अब हों अपने-
हैं बांट रहें सब ज्ञान यहाँ।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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