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14 Sep 2021 · 1 min read

मुक्तक

आधार छन्द -मोटनक(मापनी युक्त, वार्णिक, 12,मात्रा)
मापनी-गागा,ललगा,ललगा,ललगा।

‘मुक्तक ‘

मेरे सपने सब टूट रहे।
साथी अपने सब छूट रहे।
है हाल बुरा अब क्या कहना-
जो रक्षक थे वह लूट रहे।

है घायल क्यों अरमान यहाँ।
क्यों आफत में अब जान यहाँ।
कैसे सपने अब हों अपने-
हैं बांट रहें सब ज्ञान यहाँ।

(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464

Language: Hindi
351 Views
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