मुक्तक
नम आँखों से भी अधरों को मुसकाना पड़ता है
मन ना माने मन को फिर भी समझाना पड़ता है,
स्नेह,भक्ति का भाव भरा जब भी पूर्ण समर्पण हो
इंसान न केवल ईश्वर को भी जूठन खाना पड़ता है
नम आँखों से भी अधरों को मुसकाना पड़ता है
मन ना माने मन को फिर भी समझाना पड़ता है,
स्नेह,भक्ति का भाव भरा जब भी पूर्ण समर्पण हो
इंसान न केवल ईश्वर को भी जूठन खाना पड़ता है