मुक्तक
बुलंदी पर पहुँचने के बहुत अरमान बाक़ी है,
धड़कन दिल की है जारी अभी भी जान बाक़ी है,
उसूलों पर भी चलकर के मंज़िल तक पहुँच जाते
हैं सच्चे लोग कुछ जिनमें अभी ईमान बाक़ी है,,
बुलंदी पर पहुँचने के बहुत अरमान बाक़ी है,
धड़कन दिल की है जारी अभी भी जान बाक़ी है,
उसूलों पर भी चलकर के मंज़िल तक पहुँच जाते
हैं सच्चे लोग कुछ जिनमें अभी ईमान बाक़ी है,,