मुक्तक
मनाता हूं मगर अब ज़िन्दगी ही रूठ जाती है?
कि हर इक चीज हाथों से हमेशा छूट जाती है?
न जाने क्या लिखा है भाग्य में तू ही बता मौला?
पकड़ता हूं मैं जो डाली वही क्यों टूट जाती है।?
✍️शक्ति त्रिपाठी देव ?
मनाता हूं मगर अब ज़िन्दगी ही रूठ जाती है?
कि हर इक चीज हाथों से हमेशा छूट जाती है?
न जाने क्या लिखा है भाग्य में तू ही बता मौला?
पकड़ता हूं मैं जो डाली वही क्यों टूट जाती है।?
✍️शक्ति त्रिपाठी देव ?