मुक्तक
दुख दर्द का ये मंजर ना आस पास होता
गर आपके जिगर में कोई लिहाज होता
लव आज भी हमारा बेदाग बना रहता
ना तू उदास होती ना मैं उदास होता।
✍️देव त्रिपाठी
दुख दर्द का ये मंजर ना आस पास होता
गर आपके जिगर में कोई लिहाज होता
लव आज भी हमारा बेदाग बना रहता
ना तू उदास होती ना मैं उदास होता।
✍️देव त्रिपाठी