“मुक्तक” (रुप)
मुक्तक
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इंसान मोर बना बैठा है।
पंखों का शोर मचा रखा है।
नयन-नक्स देने से पहले ये कुदरत पूछती तक नहीं,
रूप का डंका हर ओर बजा रखा है।
— सिद्धांत शर्मा
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मुक्तक
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इंसान मोर बना बैठा है।
पंखों का शोर मचा रखा है।
नयन-नक्स देने से पहले ये कुदरत पूछती तक नहीं,
रूप का डंका हर ओर बजा रखा है।
— सिद्धांत शर्मा
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