“मुक्तक”
“मुक्तक”
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गरीबों की यह दुर्दशा, देखी नहीं जाती ,
दिल में छुपी जो बातें हैं, कही नहीं जाती !
गर ऐसा ही हाल रहा कुछ दिन इस देश का,
हिय में उठे जो दर्द हैं, अब सही नहीं जाती !!
_ स्वरचित एवं मौलिक ।
© अजित कुमार कर्ण ।
__ किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : १२/०६/२०२१.
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