मुक्तक
१.
जब मन से कुटिल भावों का अंत होने लगे
जब सुविचारों की निर्धनता समाप्त होने लगे
जब ग्रीष्म में भी तुम्हें शीतलता महसूस होने लगे
तुम महसूस करोगे हृदय की पावनता को
२.
जब तेरे कष्ट समाप्त होने लगें
जब तू स्वयं को दूरद्रष्टा महसूस करने लगे
जब तू अपनी तकदीर पर नाज़ करने लगे
तुम ये मान लेना तुम उस परमेश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति हो