मुक्तक
१.
जब तुम्हारा अन्धकार, भक्ति रुपी मार्ग से मिटने लगे
जब तुम स्वयं को प्रभु का सेवक समझने लगो
जब तुम असीम शांति का अनुभव करने लगो
समझना तुम पर देवों की असीम अनुकम्पा है
२.
जब देवालय तुम्हारी लालसाओं पर विराम लगाने लगें
जब देवालय तुम्हारे मन में भक्ति भाव जगाने लगें
जब देवालय तुम्हें मोक्ष मार्ग बतलाने लगें
तुम यह मानकर चलना तुम्हारी भक्ति उस परमेश्वर को
स्वीकार्य है