मुक्तक
करूणा की रसधार नयन को अधरों पर मुस्कान मिले
अधनंगी धरती को पेड़ों -पौधों का परिधान मिले
स्नेह – सुधा बाँटे बसुधा के नर – नारी मिलकर सबको
मज़हब की किताब के बदले हर मन में ईमान मिले….
करूणा की रसधार नयन को अधरों पर मुस्कान मिले
अधनंगी धरती को पेड़ों -पौधों का परिधान मिले
स्नेह – सुधा बाँटे बसुधा के नर – नारी मिलकर सबको
मज़हब की किताब के बदले हर मन में ईमान मिले….