मुक्तक
विद्वान से शोभा सभा की, बात यह सब जानते,
वृद्ध सम्मानित सभा में, बात यह सब मानते |
है कथन यह बुद्धिमानों का, नहीं जाना उचित है,
जो, आप में क्षमता, कुशलता को नहीं पहिचानते |
सत्यं शिवं सुन्दरम की गूंजी है वाणी,
सत्यमेव जयते की हमने पढ़ी कहानी,
ऐक झूठ सौ बार कहें क्या सच हो सकता,
सच तो सच है, यही बात जानी पहिचानी l