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9 Apr 2021 · 1 min read

मुक्तक

संकल्पों की राह भी
बड़ी बेमानी होती है
अभी किया कि अगले पल छोड़ा
योग का ले आसरा
संकल्प को तू प्राण दे
⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂⌂

माना कि दुःख के राही सब मगर
बाहों का दे सहारा
दूर कर तू पीर सबकी
और अपनी जिन्दगी को राह दे

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 254 Views
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Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
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