Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Mar 2021 · 1 min read

मुक्तक

युगों युगों तक चिंतन करते, तब कुछ लम्हे लिख पाते हैं…
कुछ यादों को ही लिख पाते, लेकिन जीवन रह जाते हैं…
कलम रेतते, स्याही भरते, लिखने की कोशिश भी करते,
किन्तु समापन से ही पहले कोशिश में ही मर जाते हैं…

Language: Hindi
4 Likes · 483 Views

You may also like these posts

विराट सौंदर्य
विराट सौंदर्य
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
कच्चे धागों से बनी पक्की डोर है राखी
कच्चे धागों से बनी पक्की डोर है राखी
Ranjeet kumar patre
जब अकेला निकल गया मैं दुनियादारी देखने,
जब अकेला निकल गया मैं दुनियादारी देखने,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रिटायरमेंट
रिटायरमेंट
Ayushi Verma
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
"" *भारत* ""
सुनीलानंद महंत
जश्न आंखों में तुम्हारी क्या खूब नज़र आ रहा हैं...
जश्न आंखों में तुम्हारी क्या खूब नज़र आ रहा हैं...
Vaibhavwrite..✍️
उतरे हैं निगाह से वे लोग भी पुराने
उतरे हैं निगाह से वे लोग भी पुराने
सिद्धार्थ गोरखपुरी
सरसी छंद
सरसी छंद
seema sharma
जाने वाले साल को सलाम ,
जाने वाले साल को सलाम ,
Dr. Man Mohan Krishna
3369⚘ *पूर्णिका* ⚘
3369⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
अमृतकलश
अमृतकलश
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
हम  बुज़ुर्गों  पर दुआओं के सिवा कुछ भी नहीं
हम बुज़ुर्गों पर दुआओं के सिवा कुछ भी नहीं
पूर्वार्थ
सीखो मिलकर रहना
सीखो मिलकर रहना
gurudeenverma198
22) भ्रम
22) भ्रम
नेहा शर्मा 'नेह'
जीवन से  प्यार करो।
जीवन से प्यार करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
न काज़ल की थी.......
न काज़ल की थी.......
Keshav kishor Kumar
क्या गुनाह था कि तुम्हें खोया है हमने
क्या गुनाह था कि तुम्हें खोया है हमने
Diwakar Mahto
मिट्टी है अनमोल
मिट्टी है अनमोल
surenderpal vaidya
*दशहरे पर मछली देखने की परंपरा*
*दशहरे पर मछली देखने की परंपरा*
Ravi Prakash
यमुना के तीर पर
यमुना के तीर पर
श्रीहर्ष आचार्य
कुछ किताबें और
कुछ किताबें और
Shweta Soni
प्रेम और आदर
प्रेम और आदर
ओंकार मिश्र
"जुल्मो-सितम"
Dr. Kishan tandon kranti
दुःख ले कर क्यो चलते तो ?
दुःख ले कर क्यो चलते तो ?
Buddha Prakash
तेरा तस्वीर लगाना अच्छा लगा...
तेरा तस्वीर लगाना अच्छा लगा...
Jyoti Roshni
कल आंखों मे आशाओं का पानी लेकर सभी घर को लौटे है,
कल आंखों मे आशाओं का पानी लेकर सभी घर को लौटे है,
manjula chauhan
*जिंदगी  जीने  का नाम है*
*जिंदगी जीने का नाम है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
स्वीकार कर
स्वीकार कर
ललकार भारद्वाज
एक शे'र
एक शे'र
रामश्याम हसीन
Loading...