मुक्तक
युगों युगों तक चिंतन करते, तब कुछ लम्हे लिख पाते हैं…
कुछ यादों को ही लिख पाते, लेकिन जीवन रह जाते हैं…
कलम रेतते, स्याही भरते, लिखने की कोशिश भी करते,
किन्तु समापन से ही पहले कोशिश में ही मर जाते हैं…
युगों युगों तक चिंतन करते, तब कुछ लम्हे लिख पाते हैं…
कुछ यादों को ही लिख पाते, लेकिन जीवन रह जाते हैं…
कलम रेतते, स्याही भरते, लिखने की कोशिश भी करते,
किन्तु समापन से ही पहले कोशिश में ही मर जाते हैं…