मुक्तक
नहीं धनवान मैं फिर भी हमारे पास शोहरत है।
बनी पहचान है मेरी यहाँ उसकी बदौलत है।
सदा आशीष रहता शीश पर मेरे पिता माँ का
हमारी जिंदगी की ये बड़ी अनमोल दौलत है।
अदम्य
नहीं धनवान मैं फिर भी हमारे पास शोहरत है।
बनी पहचान है मेरी यहाँ उसकी बदौलत है।
सदा आशीष रहता शीश पर मेरे पिता माँ का
हमारी जिंदगी की ये बड़ी अनमोल दौलत है।
अदम्य