*मुक्तक*
मोम सा दिल मेरा पत्थर से टकरा गया ।
टुकड़े हुए इतने की दर्द भी घबरा गया ।।
दर्द की इन्तहां हुई फिर भी सम्भल गया ।
सम्भला जो दिल पत्थर भी चकरा गया ।।
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मीठे में जहर का स्वाद चखना आ गया ।
मुझे भी सच और झूठ परखना आ गया ।।
जो करते हैं दोस्ती का झूठा दिखावा …।
मुझे भी ऐसे लोगों से निपटना आ गया ।।