Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jan 2021 · 1 min read

मुक्तक

2122 1122 1122 22
तेरी उलझी हुई जुल्फ़े सँवार सकता हूँ।
तू कहे चाँद को भू पर उतार सकता हूँ।
प्यार करता तुम्हें हूँ कितना कैसे कहूँ,
तुम्हें ही देखकर जीवन गुजार सकता हूँ।

अदम्य

Language: Hindi
1 Like · 240 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"काफ़ी अकेला हूं" से "अकेले ही काफ़ी हूं" तक का सफ़र
ओसमणी साहू 'ओश'
जश्न आजादी का ....!!!
जश्न आजादी का ....!!!
Kanchan Khanna
बाल कविता: मछली
बाल कविता: मछली
Rajesh Kumar Arjun
शिक्षक
शिक्षक
Godambari Negi
भारत का अतीत
भारत का अतीत
Anup kanheri
हीर मात्रिक छंद
हीर मात्रिक छंद
Subhash Singhai
तब जानोगे
तब जानोगे
विजय कुमार नामदेव
**वो पागल  दीवाना हो गया**
**वो पागल दीवाना हो गया**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
" वजन "
Dr. Kishan tandon kranti
हम सुख़न गाते रहेंगे...
हम सुख़न गाते रहेंगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
*उल्लू (बाल कविता)*
*उल्लू (बाल कविता)*
Ravi Prakash
*दो टूक बात*
*दो टूक बात*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
चुनाव में मीडिया की भूमिका: राकेश देवडे़ बिरसावादी
चुनाव में मीडिया की भूमिका: राकेश देवडे़ बिरसावादी
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
Chaahat
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
पतझड़ और हम जीवन होता हैं।
पतझड़ और हम जीवन होता हैं।
Neeraj Agarwal
तेरे सांचे में ढलने लगी हूं।
तेरे सांचे में ढलने लगी हूं।
Seema gupta,Alwar
मकान जले तो बीमा ले सकते हैं,
मकान जले तो बीमा ले सकते हैं,
पूर्वार्थ
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
कवि को क्या लेना देना है !
कवि को क्या लेना देना है !
Ramswaroop Dinkar
छठ पूजा
छठ पूजा
Satish Srijan
रिश्ते समय रहते बचाएं
रिश्ते समय रहते बचाएं
Sonam Puneet Dubey
सु
सु
*प्रणय*
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आंखे मोहब्बत की पहली संकेत देती है जबकि मुस्कुराहट दूसरी और
आंखे मोहब्बत की पहली संकेत देती है जबकि मुस्कुराहट दूसरी और
Rj Anand Prajapati
कभी लगे  इस ओर है,
कभी लगे इस ओर है,
sushil sarna
प्रकृति - विकास (कविता) 11.06 .19 kaweeshwar
प्रकृति - विकास (कविता) 11.06 .19 kaweeshwar
jayanth kaweeshwar
तुम वह सितारा थे!
तुम वह सितारा थे!
Harminder Kaur
सुधारौगे किसी को क्या, स्वयं अपने सुधर जाओ !
सुधारौगे किसी को क्या, स्वयं अपने सुधर जाओ !
DrLakshman Jha Parimal
3413⚘ *पूर्णिका* ⚘
3413⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
Loading...