मुक्तक
2122 1122 1122 22
तेरी उलझी हुई जुल्फ़े सँवार सकता हूँ।
तू कहे चाँद को भू पर उतार सकता हूँ।
प्यार करता तुम्हें हूँ कितना कैसे कहूँ,
तुम्हें ही देखकर जीवन गुजार सकता हूँ।
अदम्य
2122 1122 1122 22
तेरी उलझी हुई जुल्फ़े सँवार सकता हूँ।
तू कहे चाँद को भू पर उतार सकता हूँ।
प्यार करता तुम्हें हूँ कितना कैसे कहूँ,
तुम्हें ही देखकर जीवन गुजार सकता हूँ।
अदम्य