मुक्तक
2122 2122 2122 212
बोझ सी लगने लगी अब जिंदगी अपनी मुझे।
कर रहे हालात मुझको इस तरह ज़ख्मी मुझे।
इस ग़रीबी ने किया अब आज यूँ लाचार है
देख तन कपड़े फ़टे सब कह रहे बहसी मुझे।
2122 2122 2122 212
बोझ सी लगने लगी अब जिंदगी अपनी मुझे।
कर रहे हालात मुझको इस तरह ज़ख्मी मुझे।
इस ग़रीबी ने किया अब आज यूँ लाचार है
देख तन कपड़े फ़टे सब कह रहे बहसी मुझे।